बन्नुवाल वेलफेयर एसोसिएशन व फ्रंटियर ह्यूमिनिटी ग्रुप ने फरीदाबाद का 72वां स्थापना दिवस केक काटकर मनाया!
AMAR TIMES न्यूज़ से
धीरज धई की रिपोर्ट
एनआईटी फरीदाबाद का 72वां स्थापना दिवस पिछले कई सालों की तरह इस साल भी बन्नुवाल वेलफेयर एसोसिएशन व फ्रंटियर ह्यूमिनिटी ग्रुप की ओर से 1 जे पार्क में केक काटकर धूमधाम से मनाया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता बडखल विधानसभा अध्यक्ष तेजवंत सिंह बिट्टू ने की। इस मौके पर तेजवंत सिंह बिट्टू ने कहा कि उनके पिता कल्याण सिंह व अन्य विभाजन की त्रासदी को झेलते हुए पाकिस्तान के फ्रंटियर स्थित बन्नू, कोहाट, मर्दान, पेशावर, दौड़, डेरेवाल, डेरा इस्माइल खान, मुल्तान व डेरा गाजिखान आदि जिलों से उजडक़र आए शरणार्थियों ने तत्कालीन प्रधानमंत्री पं. जवाहर लाल नेहरू से दिल्ली के आसपास ही बसने का अनुरोध किया था, जबकि सरकार उन्हें राजस्थान के अलवर, भरतपुर जैसे जिलों में भेजने की इच्छुक थी। इसके विरोध में शरणार्थियों ने सत्याग्रह शुरू कर दिया।
इसमें मुख्य रूप से सरकार कल्याण सिंह, कन्हैया लाल खट्टक, श्रीचंद खत्री, सुखराम सलार, अमीचंद दुआ, खामोश सरहदी आदि के नाम उल्लेखनीय हैं।
इस मौके पर युवा समाज सेवी संजय भाटिया 1 D ने बताया कि एनआईटी शहर जोकि 30 हजार लोगों के लिए बसाया गया था व पांच हजार मकानों का निर्माण किया गया था।
तिकोना पार्क स्थित श्री राम जी धर्मार्थ अस्पताल के उपप्रधान विशाल भाटिया ने बताया कि इसके लिए सरकार ने पांच करोड़ रुपये का बजट निर्धारित किया था, लेकिन हमारे मेहनतकश लोगों ने इसे आधे बजट में ही पूरा कर दिया।
समाजसेवी उमेश कोहली ने बताया कि उन्हे खुशी है कि एन आई टी की स्थापना उनके जन्मदिवस पर हुई ,17 अक्टूबर 1949 को सुबह 11 बजे तत्कालीन तालीमी संघ की संयुक्त सचिव आशा रानी के नेतृत्व में एनएच पांच स्थित आईटीआई के पास पहला फावड़ा चलाकर एनआईटी की नींव रखी। एनआईटी का नक्शा जर्मन आर्किटेक्ट निस्सन ने तैयार किया था व इसको आकार देने के लिए बनाए गए विकास बोर्ड देश के पहले राष्ट्रपति डा. राजेंद्र प्रसाद व योजना आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष एलसी जैन जैसे गणमान्य लोग शामिल थे।
समाजसेवी कैलाश गुगलानी ने रोष प्रकट करते हुए कहा कि एनआईटी की स्थापना में अहम किरदार निभाने वाले व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के विश्वसनीय खान अब्दुल गफ्फार खान के नाम से ही बीके अस्पताल का नाम रखा गया था जबकि वर्तमान सरकार ने इसका नाम बदलकर सिविल अस्पताल कर दिया। एनआईटी शहर में अब खान अब्दुल गफ्फार खान का न तो नाम बचा है और नहीं कोई निशानी है। ऐसे में मंच जल्द ही इसके विरोध में जिला उपायुक्त के माध्यम से मुख्यमंत्री को पत्र भेजकर मांग करेंगे कि अस्पताल का नाम पुन: खान अब्दुल गफ्फार खान के नाम पर रखा जाए।
समाजसेवी संजीव ग्रोवर ने आए हुए सभी लोगों का धन्यवाद किया व मंच की प्रशंसा की।