फरीदाबाद धार्मिक एवं सामाजिक संगठन को नहीं मिलनी चाहिए दशहरा मनाने की प्रशासनिक इजाज़त : आनन्द कान्त भाटिया

AMAR TIMES न्यूज़ से
 संदीप भाटिया की रिपोर्ट 
गत 6 वर्षों से जैसे जैसे दशहरा पर्व नज़दीक आता है वैसे वैसे ही एनआईटी फरीदाबाद में दशहरा मनाने वाली संस्थाओं में सरगर्मियां बढ़ जाती हैं। गौरतलब है कि श्री सिद्ध पीठ हनुमान मंदिर नंबर-1 और फरीदाबाद धार्मिक एवं सामाजिक संगठन नामक दो संस्थाओं के बीच विगत 6 वर्षों से दशहरा पर्व मनाना मूंछ की लड़ाई साबित होता रहा है और राजनीतिक मंच पर भी इस लड़ाई को खूब भुनाया जाता रहा है। यहां तक कि हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल खट्टर को अपने प्रथम मुख्यमंत्री कार्यकाल के दौरान सौहार्दपूर्ण वातावरण में दशहरा मनवाने हेतु स्वयं मंच पर आना पड़ा। यह वही मंच है जिस पर केंद्रीय मंत्री श्री कृष्ण पाल गुर्जर और हरियाणा में तत्कालीन उद्योग मंत्री रहे श्री विपुल गोयल के बीच में अगले ही वर्ष खूब कहासुनी हुई थी। सूत्रों की माने तो राजनीतिक दखल के चलते फरीदाबाद धार्मिक एवं सामाजिक संगठन को विगत इन वर्षों में दशहरा पर्व मनाने की इजाज़त राजनैतिक एवं प्रशासनिक आशीर्वाद से ही प्राप्त होती रही है।
पुरुषार्थीयों के इस इलाके में दशहरा पर्व का अपना अलग ही महत्व है क्योंकि विस्थापित हुए इन पुरुषार्थीयों द्वारा दशहरा पर्व को एक अहम त्यौहार के रूप में हिंदुस्तान के विभाजन से पहले से ही मनाए जाने का चलन रहा है। बुजुर्गों की माने तो पाकिस्तान से ही श्री सिद्ध पीठ हनुमान मंदिर द्वारा और फिर गत 70 वर्षों से फरीदाबाद में दशहरा मनाया जाता रहा। लेकिन विगत 6 वर्षों से राजनीतिक उठापटक और संस्थाओं के बीच में खींचातानी के चलते फरीदाबाद शहर का अहम त्यौहार वर्ष दर वर्ष फीका पड़ता जा रहा है। फरीदाबाद शहर दशहरा पर्व पर सामाजिक और राजनीतिक रूप में दो धड़ों में बटा हुआ स्पष्ट दिखाई देता है और पुरुषार्थीयों की कौम के बुद्धिजीवियों द्वारा एक मायने में इस त्यौहार का बहिष्कार सा कर दिया दिखाई देता है। दशहरा पर्व पर जहां 6 वर्ष पूर्व तक पुरुषार्थीयों के परिवारों के लोग न केवल दशहरा मैदान पर रावण के दर्शन हेतु अपितु खाने-पीने, झूले झूलने, आदि का आनंद उठाते दिखाई देते थे वहीं आज इस तबके के लोग दिखाई तक नहीं देते।
इस वर्ष कोरोना के चलते ऐसा प्रतीत होने लगा था कि दशहरा पर्व मनाने की प्रशासनिक इजाज़त शायद ही दी जाएगी, लेकिन तभी फरीदाबाद धार्मिक एवं सामाजिक संगठन द्वारा एक प्रेस नोट के माध्यम से यह जतलाने का प्रयास किया कि मानो दशहरा पर्व मनाने की उन्हें प्रशासनिक इजाज़त मिल चुकी है और इसी प्रेस नोट ने फरीदाबाद शहर के एनआईटी इलाके में एक बार फिर सरगर्मियां तेज करने का काम किया। जहां एक और श्री सिद्ध पीठ हनुमान मंदिर मार्केट नंबर 1 को अभी तक किसी प्रकार की प्रशासनिक इजाज़त बारे में नहीं बताया गया है वहीं इस प्रेस नोट को जाहिर करते हुए राष्ट्रीय भ्रष्टाचार निर्मूलन परिषद के प्रदेश अध्यक्ष आनन्द कान्त भाटिया ने आज एसडीएम बड़खल श्री पंकज सेतिया के कार्यालय पर करोना काल में जिन नियम व शर्तों के तहत दशहरा पर्व मनाने की प्रशासनिक इजाज़त दी है बारे जानकारी मांग ली है। इतना ही नहीं भाटिया ने स्पष्ट तौर पर फरीदाबाद धार्मिक एवं सामाजिक संगठन नामक संस्था के गैर कानूनी रूप से मालवीय वाटिका, दशहरा मैदान पर काबिज होने की बात करते हुए न केवल संस्था अपितु प्रशासनिक अधिकारियों पर भी प्रश्नचिन्ह लगा दिया है। भाटिया की माने तो उन्होंने नगर निगम के एक दस्तावेज़ का हवाला देते हुए यह स्पष्ट किया है की उक्त संस्था से दिनांक 25/06/2013 को बाकायदा नगर निगम द्वारा सील करते हुए मालवीय वाटिका, दशहरा ग्राउंड का कब्जा ले लिया गया था और जिसका ज़िक्र अपने लिखित बयानों में करते हुए नगर निगम फरीदाबाद ने माननीय न्यायालय को अवगत भी करवाया था। आनन्द कान्त भाटिया द्वारा मुख्य सचिव, हरियाणा सरकार के साथ-साथ स्थानीय सांसद श्री कृष्ण पाल गुर्जर, उपायुक्त फरीदाबाद, जिला उद्योग केंद्र को  दिनांक 09/10/2020 को एक पत्र लिखते हुए नगर निगम अधिकारियों और संस्था के पदाधिकारियों को कटघरे में खड़ा कर दिया है। अपने इस पत्र के माध्यम से भाटिया ने विजिलेंस विभाग से जांच की मांग करते हुए यह पूछा है कि किस आधार पर नगर निगम फरीदाबाद के द्वारा कब्जे में ली गई ज़मीन जिसका कि जिक्र उसने अपने लिखित बयानों में माननीय न्यायालय में दर्ज करवाया हुआ है पर संस्था के पदाधिकारी काबिज़ हो गए? भाटिया द्वारा यह भी प्रश्न पूछा गया है कि क्यों प्रशासन को आज तक इस बात का ज्ञान नहीं हुआ कि संस्था गत कई वर्षों से बिना आय-व्यय का ब्यौरा दिए स्थानीय विधायकों एवं सांसदों के सरकारी निधी कोष से लाखों रुपए संस्था के नाम पर अथवा इस कब्ज़ाई हुई ज़मीन पर निर्माण करने के लिए प्राप्त किए हैं? प्रशासनिक अधिकारियों और संस्था के खिलाफ अनैतिक गतिविधियों की एक लंबी फेहरिस्त अपने पत्र के माध्यम से मुख्य सचिव, हरियाणा सरकार तक पहुंचाने में कितने कामयाब होते हैं राष्ट्रीय भ्रष्टाचार निर्मूलन परिषद के प्रदेश अध्यक्ष आनन्द कान्त भाटिया यह अभी भविष्य के गर्भ में है लेकिन इतना तो तय है कि यदि प्रशासन ने किसी प्रकार के राजनीतिक अथवा सामाजिक दबाव के चलते दशहरा पर्व मनाने की इजाज़त अबकी बार भी केवल फरीदाबाद धार्मिक एवं सामाजिक संगठन को दी तो यकीनन भाटिया की इन दलीलों एवं प्रश्नों को दूसरी संस्थाएं अवश्य भुनाने का प्रयास करेंगी।

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