आरएसएस के पूर्व जिला संघचालक महेन्द्र नागपाल के निधन पर शोक की लहर
AMAR TIMES न्यूज़ से
संदीप भाटिया की रिपोर्ट
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पूर्व सह प्रांत संधचालक ,बन्नू बिरादरी के सरपरस्त,शिव मंदिर 1 सी के प्रधान और फरीदाबाद की कई धार्मिक एवंम सामाजिक संस्थाओं के सरपरस्त श्री महेन्द्र नागपाल के निधन से हर और शोक की लहर है।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ आज जिस मुकाम पर है, उसे इस मुकाम पर पहुंचाने में जिन लोगों का योगदान है, उनमें महेन्द्र नागपाल अग्रणी हैं।
05 जनवरी 1943 को पाकिस्तान के बन्नू में जन्मे महेन्द्र नागपाल ने अपने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ जीवन की शुरुआत 1970 के दशक में राष्ट्रीय स्वयं सेवक से की थी। फरीदाबाद से संस्कृत और राजनीतिक विज्ञान में स्नातक की डिग्री ली। आपातकाल के दौरान महेन्द्र नागपाल ने जयप्रकाश नारायण के सम्पूर्ण क्रांति आंदोलन में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया। आपातकाल के बाद वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक के संघचालक बन गए।
महेन्द्र नागपाल का भाषण शैली और वाकपटुता का कोई जोर नहीं था। जब वह बोलते थे तो विपक्ष भी सन्न रह जाता था। उनके जवाब ऐसे होते थे कि उसके काट के लिए विरोधी को सोचना पड़ता था। उनकी इसी वजह से भारतीय जनता पार्टी ने एनःआईःटी फरीदाबाद से चुनाव लडने का प्रस्ताव दिया। लेकिन महेन्द्र नागपाल ने चुनाव लडने से मना कर दिया। महेन्द्र नागपाल के चुनाव न लडने के फैसले के बाद पार्टी ने स्वर्गीय कुंदन लाल भाटिया को टिकट दिया। स्वर्गीय कुंदन लाल भाटिया को जिताने मे महेन्द्र नागपाल जी की अहम भूमिका रही।
मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल खट्टर ने उनके निधन पर शोक व्यक्त करते हुए कहा कि महेन्द्र नागपाल हमारे वरिष्ठ स्वयंसेवक थे। उन्होंने कहा उनका उन्हें भी मार्गदर्शन मिला है। उन्होंने ईश्वर से प्रार्थना की है कि इस दुख की घड़ी में उनके स्वजन और स्वयंसेवकों को दुख सहने से शक्ति प्रदान करे। ईश्वर उनकी आत्मा को सदगति दे।
विधायक सीमा त्रिखा ने कहा कि वे हम सबके अभिभावक थे। वे अपनी बात बेबाकी और निर्भिकता से रखते थे।
मेयर सुमन बाला ने कहा कि महेन्द्र नागपाल जी को अलविदा नहीं कहा जा सकता, उन्हें खुदा हाफिज़ भी नहीं कहा जा सकता, उन्हें श्रद्धांजलि भी नहीं दी जा सकती क्योंकि ऐसे व्यक्ति मरते नहीं। वह हमें अनेक मोड़ों पर राजनीति में नैतिकता का संदेश देते रहेंगे कि घाल-मेल से अलग रहकर भी जीवन जिया जा सकता है। निडरता से, शुद्धता से, स्वाभिमान से।