पोल खोल बनकर रह गया अब का दशहरा पर्व!
AMAR TIMES न्यूज़ से
संदीप भाटिया की रिपोर्ट
इस वर्ष एनआईटी फरीदाबाद के दशहरा पर्व ने कई प्रकार के रंग बिखेरे और कई लोगों के रंग उड़ाए। गौरतलब है कि 70 वर्षों के इतिहास में फरीदाबाद टाउन में पहली बार दशहरा पर्व मनाने की इजाजत प्रशासन द्वारा नहीं दी गई जिसके पीछे का मुख्य कारण कोरोना महामारी को बताया गया लेकिन सच्चाई यह है कि भाजपा के ही एक उच्च पद पर विराजमान पदाधिकारी ने प्रशासन के समक्ष पुरजोर तरीके से और दस्तावेजों के आधार पर यह स्पष्ट कर दिया था कि जिस फरीदाबाद धार्मिक एवं सामाजिक संगठन को प्रशासन गत 5 वर्षों से दशहरा पर्व मनाने की इजाज़त दिए चला आ रहा है दरअसल वह कई झूठों का अंबार लगा कर यह इजाज़त हर वर्ष प्राप्त करने में कामयाब होते चला आ रहा है। लोगों की माने तो इस संगठन को यह इजाज़त राजनीतिक दखल के चलते ही प्राप्त होती चली आ रही थी और जिस पर विराम भी एक ईमानदार छवि और मुखर वक्ता के खुलासे के चलते ही लग पाया, जबकि वे स्वयं भी भाजपा के एक प्रमुख पद पर विराजमान हैं। आज दशहरा बीते लगभग 1 सप्ताह बीत चुका है लेकिन संगठन पर लगाए गए आरोपों के खिलाफ किसी प्रकार की ना तो कोई कार्रवाई प्रशासन द्वारा की गई है और ना ही संगठन के पदाधिकारियों की ओर से अभी तक स्वयं को सही होना ही साबित किया गया है। रही सही कसर गत 24 अक्टूबर के लंका दहन के एक कार्यक्रम के लिए लगाए गए हार्डिंग ने पूरी कर दी जिस पर विगत विधानसभा चुनावों में कांग्रेस प्रत्याशी रहे विजय प्रताप के साथ भाजपा के एक पदाधिकारी और स्थानीय विधायिका के खासमखास के फोटो भी लगे दिखाई दिए। टाउन के लोग भाजपा में चल रही इस उठक पटक के खेल के पीछे के कारणों को समझ ही नहीं पा रहे हैं और यह भी फुसफुसाते सुनाई देते चले आ रहे हैं कि या तो भाजपा में दोहरे व्यक्तित्व के पदाधिकारी ज़्यादा हैं या फिर जिला अध्यक्ष की पकड़ ढीली। अगर ऐसा ना होता तो अपने ही प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री के खिलाफ टिप्पणियां करने वाला भाजपा का जिला कोषाध्यक्ष और संगठन का अध्यक्ष जोगिंदर चावला अभी तक हटा दिया गया होता और अब यह हार्डिंग का मुद्दा भी जिले की ढीली दखल की ओर इशारा करता है।