आखिरकार फरीदाबाद में आए दिन होने वाले अग्नि हादसों का असली जिम्मेदार कौन?
AMAR TIMES न्यूज़ से
संदीप भाटिया की रिपोर्ट
फरीदाबाद में आग लगने की घटनाएं रुकने का नाम ही नहीं ले रही हैं। बीती शाम आनन्द वन बैंक्वेट हॉल नं0 3 में लगी आग की घटना विगत चार माह में छठा ऐसा हादसा है जिसने फरीदाबाद शहर के निवासियों को यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि आखिर इन दुर्घटनाओं का असली जिम्मेदार कौन? गौरतलब है कि किसी भी इमारत को बनाने से पूर्व नियमानुसार उसका नक्शा संबंधित विभाग से पास करवाना अनिवार्य रहता है अन्यथा उस निर्माण को अवैध निर्माण की श्रेणी में गिना जाता है। संबंधित विभाग द्वारा न केवल नक्शा पारित किया जाता है अपितु उस निर्माण को एक निश्चित समयावधि के अंदर पूरा करना भी सुनिश्चित किया जाता है। यदि वह निर्माण निर्धारित समय में पूरा नहीं होता तो उस निर्माण के लिए मिलने वाला कंप्लीशन सर्टिफिकेट जारी नहीं किया जा सकता और जिसके चलते प्रशासन से अन्य कई प्रकार की इजाज़तें प्राप्त करने में अड़चनें उत्पन्न होने की संभावनाएं रहती हैं। अग्निशमन विभाग में आवेदन करने और अग्निशमन यंत्र लगवाने उपरांत NOC प्राप्त करने के लिए किसी भी भवन के कंप्लीशन प्रमाण पत्र की सख्त जरूरत रहती है।
अमर टाईम्स न्यूज़ द्वारा फरीदाबाद के एक सर्वे उपरांत यह उजागर हुआ है कि जिले की 90 प्रतिशत से ज़्यादा इमारतों में अग्निशमन यंत्र तक नहीं लगवाए गए हैं और यह बात नगर निगम फरीदाबाद एवं उसके अधीनस्थ अग्निशमन विभाग को बखूबी मालूम है। निगम अधिकारी अक्सर यह कहते हुए अपना बचाव करते दिखाई देते हैं कि निगम के पास जो भी Fire NOC के लिए आवेदन करता है तो उसे नियमानुसार 1 वर्ष के लिए वह NOC दे दिया जाता है अन्यथा इस बाबत सर्वे करने जैसा कोई भी तरीका नगर निगम अथवा अग्निशमन विभाग द्वारा नहीं अपनाया जाता है। आज फरीदाबाद में 95 प्रतिशत निर्माण अवैध निर्माणों की श्रेणी में आते हैं। कहावत है कि जब किसी वृक्ष की जड़ ही खराब हो तो फल के उत्तम होने की सोच रखना कभी भी तर्कसंगत नहीं कहा जा सकता।
इसी वर्ष जुलाई माह में फरीदाबाद की मार्केट नंबर 1 में एक साड़ियों की दुकान में आग लगी जहां मालिक को लाखों रुपयों के माल का नुकसान झेलना पड़ा। तंग गलियों के कारण अग्निशमन की गाड़ी के पहुंचने तक का रास्ता नहीं था, लेकिन किसी प्रकार भी भरपूर मशक्कत के बाद अग्निशमन विभाग के कर्मचारियों ने आग पर काबू पाने में कामयाबी हासिल की। अभी स्थानीय निवासी इस हादसे को भुला भी नहीं पाए थे कि स्थानीय एन. एच.-3 जी ब्लॉक स्थित कैमिकल फैक्टरी में सितंबर माह में जबरदस्त अग्निकांड हुआ। अग्नि शमन की लगभग 8 से 10 गाड़ियां मौके पर पहुंचीं और विभाग के कर्मचारियों द्वारा स्थानीय लोगों की मदद से भारी मशक्कत के बाद किसी तरह आग पर काबू तो पा लिया लेकिन सरकारी राजस्व और निजी सम्पत्ति के हुए नुक़सान को नहीं बचा पाए। गनीमत रही कि इस भयानक हादसे में किसी की जान नहीं गई। एक ही माह के अंतराल में अक्टूबर माह में प्याली चौक स्थित फेयर डील नामक गाड़ियों के शोरूम पर देर रात भयंकर आग लगने का हादसा हुआ जिसमें लगभग 59 नई और पुरानी गाड़ियां जलकर राख हो गईं। इसी माह के अंत में व्यस्ततम नीलम फ्लाईओवर के नीचे कबाड़ की दुकान में तो ऐसी आग लगी जिस पर काबू पाना जहां एक ओर मुश्किल रहा वहीं दूसरी ओर आज एक माह बीत जाने के बावजूद उस पुल को मरम्मत कर सामान्य रूप से चलाने लायक भी प्रशासन बना पाने में विफल रहा है। नवंबर माह में NHPC चौक पर पैनोरमा कम्पनी में भी आग लगने के चलते लाखों रुपयों के राजस्व का नुकसान हुआ। अब दिनांक 28/11/2020 की देर शाम हुए आनन्द वन बैंक्वेट हॉल अग्निकांड ने तो शहर को हिला कर रख दिया। उक्त जितने भी हादसे बीते चार माह के दौरान फरीदाबाद में हुए हैं इन सभी हादसों का जिम्मेवार पूरी तरह से निगम प्रशासन ही है क्योंकि इन सभी निर्माणों पर किसी प्रकार के NOC चाहे वह नगर निगम से लिए जाने थे अथवा अग्निशमन विभाग से, नहीं जारी करवाए गए थे।
नगर निगम में व्याप्त भ्रष्टाचार की इससे बड़ी मिसाल मिलना मुश्किल है कि प्याली चौक स्थित जिस फेयर डील नामक गाड़ियों के शोरूम में आग लगी थी और उस पर संयुक्त आयुक्त ने मौका मुआयना करने उपरांत शोरूम के मालिक को न केवल नोटिस जारी किए अपितु अपने दस्तावेजों के साथ तीन दिन के भीतर नगर निगम में उपस्थित होने और उनकी जांच करवाने बारे आदेश भी जारी किए थे। लेकिन सच्चाई एक बार फिर नगर निगम के भ्रष्ट अधिकारियों की भेंट चढ़ गई और न केवल उस अवैध निर्माण को पूरा करने दिया गया अपितु उसके खिलाफ निगम द्वारा किसी प्रकार की कोई दंडात्मक कार्रवाई भी नहीं की गई है। कहीं न कहीं प्रशासन के अलावा इन हादसों की जिम्मेदारी उन लोगों की भी बन जाती है जो भ्रष्ट अधिकारियों को सुविधा शुल्क के नाम पर तो लाखों रुपया दे सकते हैं लेकिन नियम और कायदों पर चलते हुए सरकार के खातों में राजस्व न देकर अवैध काम करने में स्वयं को माहिर मानने लगे हैं। आज फरीदाबाद जिले में अनेक ऐसे भवन ठेकेदार कार्यरत हैं जिनकी सांठगांठ निगम के योजनाकार विभाग और तोड़फोड़ विभाग के साथ है और जिसके चलते निर्माण करता और प्रशासन के बीच की कड़ी का कार्य करते हुए अवैध निर्माणों की संख्या में रोजाना बढ़ोतरी होती दिखाई दे रही है। फरीदाबाद जिले को स्मार्ट सिटी की सूची में जिस सोच के साथ भाजपा की केंद्र सरकार ने शामिल किया होगा उसको पूरी तरह से ठेंगा दिखाने में लगे हुए हैं नगर निगम के अधिकारी और ऐसे भवन ठेकेदार।
लोगों की मानें तो आए दिन अखबारों में छपते हुए जहां एक ओर निगमायुक्त अपने ही अधीनस्थ विभाग और अधिकारियों को दोषी तो दिखा रहे हैं, वहीं दूसरी ओर स्वयं की छवि को बेदाग दिखाने का प्रयास भी कर रहे हैं, लेकिन ऐसी इमानदारी किस काम की यदि अपने ही अधीन भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ किसी प्रकार की विभागीय कार्रवाई तक करने में वे कामयाब नहीं हो पा रहे हैं या कि नहीं कर रहे हैं। आज पूरे एनआईटी क्षेत्र में अवैध निर्माण जोरों पर हैं और जनता की आंखों में धूल झोंकने के लिए जब तोड़फोड़ की कार्रवाई को अंजाम देने निगम के अधिकारी पहुंचते हैं तो सरेआम उन पर भारी रिश्वत लेने के आरोप लगाए जाना एक आम बात सी होती जा रही है। विगत तीन-चार माह में जितने भी ऐसे आरोप लगाए गए हैं उनमें से किसी भी अधिकारी के खिलाफ निगमायुक्त आज तक कोई कार्रवाई नहीं कर पाए हैं। अधिकारी तो इस कदर बेलगाम हो चुके हैं कि वह अपने निगमायुक्त के आदेशों तक की भी अवहेलना करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। आम लोगों का मानना है कि प्रशासनिक अधिकारियों जिनकी वजह से किसी प्रकार का भी हादसा होता है और कि जिस में जान व माल का भारी नुकसान होता है के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई करना अनिवार्य है, नहीं तो ऐसे हादसों पर अंकुश लगना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन बनकर रह जाएगा।
फिलहाल नगर निगम के तोड़फोड़ विभाग और योजनाकार विभाग को इन हादसों का जिम्मेदार मानना इसलिए आवश्यक बन जाता है क्योंकि जिन इमारतों या भवनों में अग्नि कांड देखने को मिल रहे हैं वे सभी अवैध रूप से न केवल बनवाए गए हैं अपितु उन को सुरक्षा की दृष्टि से कभी जांचा ही नहीं गया है। आम लोगों का यह मानना है कि फरीदाबाद आज की तारीख में प्रशासनिक दृष्टि से मौत के मुहाने पर खड़ा है क्योंकि आए दिन या तो किसी अग्निकांड के चलते या कहीं बिजली के करंट की वजह से और टूटी सड़कों के चलते हादसों के कारण उन्हें ही मानसिक, शारीरिक और आर्थिक नुकसान झेलने पड़ रहे हैं। जहां एक ओर जनता त्रस्त है वहीं दूसरी ओर प्रशासन व नेता पूरी तरह से मस्त हैं।
फरीदाबाद के अग्निशमन विभाग के खस्ताहाल से अपने पाठकों को अगले लेख के द्वारा अवगत करवाएंगे।