अनाथ जैसी जिंदगी जी रहा फरीदाबाद का अग्निशमन विभाग! शहर के उद्योगपतियों को आना चाहिए आगे!
AMAR TIMES न्यूज़ से
संदीप भाटिया की रिपोर्ट
किसी भी क्षेत्र के निवासी अग्निशमन विभाग की मौजूदगी से स्वयं को किसी प्रकार के भी अग्निकांड होने की हालत में सुरक्षित महसूस करते हैं और उनका यह विश्वास दृढ़ रखने के लिए पूरी जिम्मेदारी सरकार और स्थानीय प्रशासन की बनती है। विगत 4 माह के दौरान फरीदाबाद के विभिन्न इलाकों में कई छुटपुट घटनाओं के अलावा 6 बड़ी-बड़ी आग लगने की घटनाएं हुई है जिनमें लाखों रुपए के राजस्व का नुकसान हुआ। प्रत्यक्ष रूप से तो यह नुकसान उन मालिकों का ही कहा जाएगा जिनके यहां आग लगी, लेकिन अप्रत्यक्ष रूप में यह राष्ट्रीय संपत्ति का नुकसान कहलाने योग्य है। इन सबसे क्षुब्ध घटनास्थल पर मौजूद लोगों द्वारा अग्निशमन विभाग पर देरी से पहुंचने के इल्ज़ाम लगाए जाना आम सी बात है। विभाग की ढीली कार्रवाई के पीछे के कारणों को जानने का प्रयास अमर टाइम्स न्यूज़ ने जब किया तो अग्निशमन विभाग की दुर्दशा देख होश उड़ना ज़रूरी हो गया।
गौरतलब है कि फरीदाबाद का हर वह नागरिक जो निजी संपत्ति में रहता है को अपने गृह कर का 10% अलग से अग्निशमन विभाग के नाम पर नगर निगम फरीदाबाद को देना होता है और कि इन्हीं पैसों से नगर निगम अग्निशमन विभाग के अधिकारियों, कर्मचारियों की तनख्वाह और उसके रखरखाव का खर्च वहन करता है। करोड़ों रुपयों की वसूली अग्निशमन विभाग के नाम पर नगर निगम द्वारा प्रतिवर्ष की जाती है और जिसमें से शायद ही कोई पैसा अग्निशमन विभाग पर खर्च किया जाता हो? ऐसा हमें इसलिए कहना पड़ रहा है क्योंकि इस विभाग की जो तस्वीर हम आपके सम्मुख रखने जा रहे हैं उससे हमारे पाठकों को यह बखूबी समझ आ जाएगा कि अग्निशमन विभाग पूरी तरह से एक अनाथ जीवन जी रहा है।
जिला फरीदाबाद की यदि बात करें तो अग्निशमन विभाग में कुल 147 कर्मचारी होने जरूरी हैं लेकिन वर्तमान में इस विभाग के पास 17 फायर फाइटर और कुल 6 ड्राइवर हैं। इसके अलावा अनुबंध पर ठेकेदारों से 14 फायर फाइटर और 5 ड्राइवर अलग से विभाग के पास है। इस प्रकार से यदि देखा जाए तो जितने कर्मचारियों की आवश्यकता अग्निशमन विभाग को जिले में रहती है उसमें से 25 प्रतिशत कर्मचारी ही इस विभाग के पास हैं, जोकि अग्नि कांडों से निपटने के प्रति प्रदेश सरकार और स्थानीय प्रशासन की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। इतना ही नहीं उक्त 42 कर्मचारी तीन शिफ्ट में कार्यरत रहते हैं यानी कि एक समय पर विभाग के पास केवल 14 कर्मचारी मौजूद रहते हैं जिन्होंने किसी भी अप्रिय घटना के समय गाड़ियों में पानी भरने के साथ उन्हें न केवल घटनास्थल तक पहुंचाने की ज़िम्मेदारी है अपितु आग पर काबू भी पाना होता है। अग्निशमन विभाग द्वारा 14 की संख्या के कर्मचारियों के साथ किस तरह आग की घटनाओं से निपटा जा रहा होगा यह सोचनीय है। अग्निशमन विभाग के सेक्टर 15 ए० स्थित स्टेशन पर जब हमारे संवाददाता ने मुआयना किया तो पाया कि जिस पानी के टैंक से गाड़ियों में पानी भरा जाता है उसके ट्यूबवेल की मोटर 24 घंटे चालू रखी जाती है और इसका कारण जब हमने जानने का प्रयास किया तो ज्ञात हुआ कि पानी के टैंक में कहीं से ऐसी लीकेज है जो कि भरे हुए पानी को जमीन में जज़ब कर लेती है और कि इसकी शिकायत अपने उच्च अधिकारियों को देने के बावजूद भी वर्षों से इसे ठीक नहीं करवाया जा सका है। अपना नाम न बताने की शर्त पर मौजूद कर्मचारियों ने बताया कि एक सफाई कर्मचारी को तो नगर निगम से साबुन और तेल उपलब्ध करवाया जाता है लेकिन हमें यह अनिवार्य सामान तक उपलब्ध नहीं करवाया जाता। आग में उतरने के लिए जिन वस्त्रों का प्रयोग करना अनिवार्य है वह वस्त्र और वर्दियों तक की समुचित व्यवस्था प्रशासन या सरकार नहीं करवा पा रही है। गत 5 वर्षों में केवल पिछले वर्ष ही हमें वर्दियां उपलब्ध करवाई गई थीं। इतना ही नहीं अपनी जान की बाज़ी लगाकर जहां हम लोग नागरिकों की सुरक्षा के लिए कार्य करते हैं वहां हम लोगों को समय पर तनख्वाह तक भी नहीं मिलती। कॉन्ट्रैक्ट पर काम करने वाले 14 लोगों को अभी भी 3-3 महीने की तनख्वाह मिलनी बाकी है।
कर्मचारियों के बैठने की जगह के नाम पर किसी प्रकार की व्यवस्था न के बराबर है और जिस गुसल खाने और शौच का इस्तेमाल कर्मचारी करते हैं उसमें न तो दरवाज़े दिखे और न ही पाईप एवं टुटीयां। छत पर निगाह पड़ी तो लेंटर के सरिए घूर घूर कर मानो हमारे संवाददाता को ही डरा रहे थे।सड़क पर चलने फिरने लायक कुल वाहनों में से केवल चार अग्निशमन वाहन और एक छोटी गाड़ी ही दिखाई दी। हालात इतने बदतर की एक गाड़ी में तो आगे के शीशे ही नहीं थे और दूसरी गाड़ी में नायलॉन की पट्टी से दरवाजों को बंद रखने का जुगाड़ किया हुआ था। अग्निशमन विभाग के सड़कों पर दौड़ने वाले इन वाहनों में जगह-जगह गलाव देखा जा सकता है और जो कभी भी इनको कार्य में लेने पर रोक लगा सकता है। सड़क और फर्श नाम की कोई चीज अग्निशमन विभाग के इस स्टेशन पर देखने को नहीं मिली। पीछे के हिस्से में अलग-अलग जगह कबाड़ के रूप में खड़ी अनगिनत छोटी बड़ी गाड़ियां खड़ी दिखाई दीं।
जब इस बारे हमारे संवाददाता ने वहां मौजूद अधिकारियों से बात करने का प्रयास किया तो उनकी भी ज़ुबान तभी खुली जब उन्हें यह यकीन हो गया कि हम उनका नाम उजागर नहीं करेंगे। एक अधिकारी ने हमें पीछे ही बने उनके रिहायशी क्वार्टरों पर निगाह मारने को कहा। जब हमने उन जर्जर रिहायशी घरों को देखा जिनमें विभाग के अधिकारी, कर्मचारी और उनके परिवार रहते हैं तो पाया कि हमारी सुरक्षा में दिन रात जुटे रहने वालों और उनके परिवारों तक की व्यवस्था नहीं की गई है। कर्मचारियों का मानना है की एयर कंडीशन शानदार दफ्तरों में बैठने वाले निगम के बड़े अधिकारियों के पास हम जैसे कर्मचारियों के लिए सोचने का न तो समय है और न ही उन्हें जरूरत महसूस होती है।
विचार करने लायक बात यही है कि करोड़ों को नौकरियां देने का दम भरने वाली सरकारें इस बात का क्या जवाब देंगी कि जब जिले में अग्निशमन विभाग के लिए 147 कर्मचारी सरकार द्वारा पारित किए गए हैं तो उनके स्थान पर केवल 23 कर्मचारी ही क्यों कार्यरत हैं? यदि सरकारी तौर पर की गई नियुक्तियों को ध्यान में रखें तो सरकार द्वारा प्रति शिफ्ट 8 कर्मचारी भी पूरे जिले के लिए नियुक्त नहीं किए गए हैं। दूसरा प्रश्न जो विचार करने योग्य है वह यह है कि 8 कर्मचारी गाड़ियों में पानी भरेंगे, घटनास्थल तक गाड़ियों को पहुंचाएंगे या कि वहां पर लगी आग को बुझाने का प्रयास करेंगे? तीसरा प्रश्न जिसपर विचार होना चाहिए वह यह है कि आम आदमी से फायर टैक्स के रूप में जो करोड़ों रुपए हर वर्ष नगर निगम एकत्रित करता है उसका उपयोग अग्निशमन विभाग के लिए न कर किसी और मद में किया जाना कहां तक उचित कहलाने योग्य है?
यदि हम बात करें तो दिनांक 09/02/2017 के एक आदेश जो तत्कालीन निकाय मंत्रालय के प्रमुख सचिव द्वारा जारी किए गए थे और कि जिसके अनुसार दिनांक 01/04/2017 से अग्निशमन विभाग को म्यूनिसिपल कमेटियों, कारपोरेशन और काउंसिलों से अलग किया जा चुका है और कि अग्निशमन विभाग के कर्मचारियों की पूरी जिम्मेवारी इस विभाग के बनाए गए नए Directorate को होगी न कि नगर निगम को। इतना ही नहीं इस आदेश के अनुसार इस्तेमाल में आने वाली गाड़ियां और अन्य प्रकार की संपत्तियां भी Directorate के अधीन रहेंगी। जबकि इस सेवा से जुड़े अधिकारियों और कर्मचारियों की तनख्वाह, इस्तेमाल में आने वाला ईंधन और अग्नि शमन की गाड़ियों का रखरखाव का जिम्मा नगर निगम का ही होगा। विभाग की दुर्दशा को स्वयं बयान करती तस्वीरें एक प्रश्न पूछती हैं कि फायर टैक्स के नाम पर करोड़ों रुपए भरने के बाद भी फरीदाबाद का स्थानीय निवासी असुरक्षित क्यों? एक बात और जो दिल में सवाल उत्पन्न करती है वह यह कि जिला फरीदाबाद बहुत बड़े-बड़े कारखानों का मालिक है और यदि इन कारखानों की बनी हुई संस्थाएं विभिन्न प्रकार के सांस्कृतिक कार्यक्रमों को त्याग कर उन खर्च किए जाने वाले पैसों से अग्निशमन विभाग के लिए उचित व्यवस्था करने का जिम्मा भी ले लें तो स्वयं के कारखानों के साथ-साथ वे जिले की सुरक्षा में भी अहम भागीदार बन जाएंगे।