प्रशासन कब जागेगा कुम्भकरणी नींद से? अब निगाह कर्मयोगी उपायुक्त पर!

AMAR TIMES न्यूज़ से 
संदीप भाटिया की रिपोर्ट 
 फरीदाबाद के प्रशासनिक विभाग ठीक उन बेलगाम घोड़ों की तरह दौड़ रहे हैं जो लड़ाई के मैदान के बीचो बीच पहुंच कर अपने सारथी को धोखा देते हैं और अपने राजा को मरवा देते हैं। कुछ ऐसा ही हाल फरीदाबाद जिले के नगर निगम और DIC कार्यालय का हो चुका है और इनका बेलगाम होना आने वाले समय में वर्तमान के चुने हुए सारथी रूपक जनप्रतिनिधियों को जहां एक ओर धोखा देना कहलाएगा वही वर्तमान की प्रदेश सरकार को कम से कम फरीदाबाद से तो सत्ता में उतनी भागीदारी नहीं मिलेगी जितनी कि वर्तमान में मिली हुई है और जिसे राजा को मरवाने जैसा ही कहा जा सकता है। सरकार द्वारा पब्लिक की गाड़े खून पसीने की कमाई से एकत्रित टैक्सों से मोटी मोटी तनख्वाहें प्राप्त करने वाले अधिकारी काम के नाम पर क्या करते हैं यह किसी से भी छुपा हुआ नहीं है।
सभी जानते हैं कि फरीदाबाद शहर को बसाने का काम 1947 के विस्थापितों एवं पुरुषार्थी वर्ग द्वारा किस बखूबी किया गया और ऐसे में कारखानों के साथ साथ विभिन्न प्रकार की धार्मिक और सामाजिक संस्थाओं को समाज को जोड़े रखने के मकसद से बनाया गया जिसमें हमारे समाज के उन बुद्धिजीवियों का एकमात्र योगदान रहा जिन्होंने न केवल संस्थाएं बनाई अपितु उनके अधिकार क्षेत्र में काम किए और समाज को एक सूत्र में बांध के रखने का प्रयास जारी रखा। लेकिन अफसोस वक्त के साथ साथ समाज में जुड़े अगली पीढ़ीयों के समाजसेवियों की सोच सामाजिक और धार्मिक कम राजनीतिक व व्यवसायिक ज्यादा थी और जिसके कारण आज फरीदाबाद शहर की लगभग हर दूसरी संस्था किसी ना किसी झगड़े का शिकार है अथवा न्यायालय में किसी वाद के तहत पक्षों में बंटी हुई अपने-अपने दावे प्रस्तुत करते देखी जा सकती है।
गौरतलब है की अक्टूबर 2020 के आरंभ में राष्ट्रीय भ्रष्टाचार निर्मूलन परिषद के प्रदेश अध्यक्ष आनंद कांत भाटिया द्वारा प्रशासन के सभी संबंधित विभागों के पास फरीदाबाद धार्मिक एवं सामाजिक संगठन नामक एक संस्था द्वारा करोड़ों रुपयों की सरकारी जमीन पर कब्जा करते हुए वहां पर सरकारी पैसा लगवाने और धन एकत्रित करने और कोई हिसाब ना देने जैसे कई संगीन आरोप लगाए थे, लेकिन प्रशासन की मस्त चाल और गैर जिम्मेदाराना रवैया प्रशासन के पूरी तरह बेलगाम हो चुके होने को सिद्ध करता है। हमारे एक जागरूक पाठक द्वारा प्रेषित एक तस्वीर खुले मुंह से यह घोषित करती दिखाई देती है कि प्रशासनिक विभाग सरकारी जमीनों पर किए जाने वाले कब्जों के प्रति कितने गंभीर हैं क्योंकि जिस विवादित जमीन की जांच कर उसे प्रशासनिक विभाग को अपने कब्जे में तुरंत लेना चाहिए था वहां जुगत बिठाकर पहले संस्था के पदाधिकारियों ने अटल केंद्र खोलकर परिवार आधार कार्ड बनाने आरंभ किए और अब 2 दिन पूर्व पहले से लगी हुई राधा कृष्ण की मूर्ति को एक मंदिर का रूप देते हुए एक नए विवाद को जन्म दे दिया है जिसकी बाकायदा घोषणा एक हार्डिंग के माध्यम से की गई है।
जब इस बारे बातचीत करने के लिए प्रशासनिक विभागों के अधिकारियों से संपर्क साधा गया तो जांच किए जाने और जल्द विवाद को हल कर लिए जाने की बात तो की गई लेकिन जांच के लंबित होने पर पूछे सवाल के उत्तर में कई प्रकार के दबाव रहने की बात दबी जुबान में अधिकारी मानते रहे। वहीं जब इस विषय पर जोगिंदर चावला से बात करने का प्रयास किया गया तो उन्होंने फोन काट दिया जबकि आनंद कांत भाटिया से संपर्क किया गया तो उन्होंने बताया कि प्रत्येक व्यक्ति अपने उद्देश्य की पूर्ति हेतु साम, दाम, दंड, भेद की नीति अपनाता है और यह नैतिक व अनैतिक कार्य करने वाले दोनों वर्गों के व्यक्तियों पर लागू होता है। हम अपना कार्य नियमों एवं कानून के हिसाब से जारी रखे हुए हैं। नगर निगम, उप निबंधक कार्यालय, पुलिस आयुक्त फरीदाबाद, सतर्कता विभाग एवं मुख्य सचिव द्वारा इस संगीन विषय पर पूरी संजीदगी के साथ जांच करवाई जा रही है। समय अवश्य लग रहा है लेकिन न्याय अवश्य मिलेगा ऐसी मैं आशा करता हूं। उन्होंने आगे बताया कि प्रशासनिक विभागों पर कई प्रकार के दबाव रहना अवश्यंभावी है लेकिन मेरा यह भी मानना है कि प्रत्येक अधिकारी अपनी साख का सौदा नहीं करता और यही वजह है कि मैं इस विषय पर बहुत आशावान हूं, नगर निगम की जांच बहुत ही सुलझे हुए अधिकारियों द्वारा करवाई जा रही है जो कि ईमानदार हैं और अपने विभाग के प्रति पूरी तरह से निष्ठावान भी हैं। मामले की संजीदगी को देखते हुए विस्तृत जांच करना और कानूनी प्रावधान के तहत आरोपियों को सजा दिलवाना उच्च अधिकारियों के लिए जरूरी बन जाता है, शायद यही कारण है की जांच में समय लग रहा है। इतना ही नहीं मेरे द्वारा प्रस्तुत किए गए सभी दस्तावेज किसी ना किसी प्रशासनिक विभाग और कार्यालय द्वारा या तो जारी किए गए हैं अथवा उनकी फाइलों का हिस्सा हैं जिन्हें नकारना भ्रष्ट से भ्रष्ट अधिकारी के लिए भी मुमकिन नहीं रहने वाला।
अब देखना यह है कि जब स्वच्छ छवि के और कर्मयोगी वर्तमान उपायुक्त फरीदाबाद श्री यशपाल यादव जो स्वयं निगम आयुक्त का अतिरिक्त कार्यभार संभाले हुए हैं, इस विवाद के निस्तारण के लिए कितना वक्त प्रशासनिक अधिकारियों को देते हैं? किसी भी जिले में हो रही अनैतिक गतिविधियों के प्रति वहां के उपायुक्त की जवाबदेही रहती है खासतौर पर जब मामला सरकारी जमीनों पर किए जाने वाले कब्जों को लेकर हो तो!
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