मासूम बच्चे के रक्तदान करने की जिद के आगे हारे डाक्टर।
AMAR TIMES न्यूज़ से
रजिंदर सोनी की रिपोर्ट
हाल ही में आयोजित एक रक्त्तदान शिविर के दौरान अपने माता-पिता श्रीमति सोनू और श्री विकास भाटिया के रक्त्तदान से प्रेरित हो, यह नन्हा बहादुर बच्चा शौर्य स्वयं भी रक्त्तदान करने की ज़िदद पकड़ बैठा।
हर किसी ने इस मासूम को यह समझाने की कोशिश की कि रक्त्तदान करने के लिये कानूनी रूप से योग्य आयु तक पहुँचने के लिये उसे अभी कई वर्षों तक इन्तज़ार करना होगा, लेकिन छोटा बालक इस तर्क को स्वीकार करने को तैयार नहीं था। वह अपनी बात पर अड़ा रहा कि "मैं एक शक्त्तिशाली लड़का हूँ और मुझे सुई से डर नहीं लगता। मुझे रक्त्तदान करने दो।"
आखीरकार, बच्चे की मासूम ज़िदद के समक्ष सबने हार मानी और उसे खुश करने के लिए ब्लड बैंक की टीम को एक ड्रामा करना पड़ा, जिसके तहत बच्चे का रजिस्ट्रेशन फॉर्म भरने, हीमोग्लोबिन स्तर की जाँच करने और उसे रक्त्तदान कुर्सी पर लिटाने आदि सभी औपचारिकतायें नकली रूप से निभाई गयीं और शौर्य को विश्वास दिलाया गया कि उसका रक्त्तदान सफल रहा।
वो कहते हैं ना, कि परिवार के अच्छे गुण पीढ़ी दर पीढ़ी चलते रहते है। इसमें कोई आश्चर्य नहीं लगता, क्योंकि शौर्य के माता-पिता जो कि नियमित रक्त्तदाता हैं, के अलावा, उसके दादा स्वर्गीय श्री सुरजन लाल भाटिया जी अपने जीवन के उन वर्षों के दौरान एक नियमित रक्त्तदाता थे जब इस नेक कार्य के प्रति समाज में बहुत ही कम जागरूकता थी।
शौर्य, आप अपने नाम को सार्थक और अपने परिवार के नाम को और रौशन करोगे। हमारी दुआएं, शुभकामनाएं और आशीर्वाद तुम्हारे साथ हैं।