फरीदाबाद धार्मिक एवं सामाजिक संगठन के तथाकथित पदाधिकारियों का नया हथकंडा : सूत्र

AMAR TIMES न्यूज़ से 
अनुज नागपाल की रिपोर्ट 
# राजनैतिक दखल से बिगड़ सकता है बड़खल का माहौल?
# फरीदाबाद धार्मिक एवं सामाजिक संगठन की तथाकथित कार्यकारिणी सदस्य अपने अंदाज में एक बार फिर फरीदाबाद की विभिन्न संस्थाओं के पदाधिकारियों को गुमराह करने में लगे हुए हैं। गौरतलब है कि कुछ दिन पूर्व ही इस संस्था पर सरकारी ज़मीन कब्ज़ाने के आरोप लगे थे जिस पर शिकायत ग्रीवेंस कमेटी के शून्य काल में उपमुख्यमंत्री के समक्ष रखने के बाद तुरंत उपायुक्त फरीदाबाद एवं निगमायुक्त द्वारा संज्ञान लेते हुए संस्था के कार्यालय को सील करने के आदेश जारी हुए। लेकिन शायद संस्था के स्वयंभू एवं तथाकथित पदाधिकारियों को हुई इस फज़ीहत के बाद भी कुछ समझ नहीं आया है? यदि सूत्रों की माने तो संस्था के प्रमुख पदाधिकारी बड़खल विधानसभा की विभिन्न धार्मिक एवं सामाजिक संस्थाओं के पास मुख्यमंत्री के नाम एक पत्र लेकर घूम रहे हैं। अपना नाम ना बताने की शर्त पर एक संस्था के पदाधिकारी ने बताया की मुख्यमंत्री के नाम लिखे उस पत्र पर विभिन्न संस्थाओं के पदाधिकारियों के दस्तखत करवा फरीदाबाद धार्मिक एवं सामाजिक संगठन के नाम उसी भूमि को अलॉट करवाने का कार्य शुरू कर दिया गया है और इसके लिए बकायदा लोगों के पास राजनैतिक ओहदेदारों के फोन भी करवाए जा रहे हैं।
कुछ संस्थाओं के पदाधिकारियों का यह मानना है कि अभी तो चिता की राख पूरी तरह से ठंडी भी नहीं हुई है और इन लोगों ने इस कार्य को आरंभ कर एक और मुद्दे को हवा दे दी है और इस प्रकार के कदम को उठा कर राजनीति पर ही प्रश्न चिन्ह लगवा दिया है। स्थानीय लोगों द्वारा माना जा रहा है कि बिना राजनैतिक संरक्षण के फरीदाबाद धार्मिक एवं सामाजिक संगठन के इस अनैतिक कार्य को पूरा किया ही नहीं जा सकता। एनआईटी फरीदाबाद इस संस्था के मामले में दो भागों में बटा हुआ दिखाई देता है। जहां एक ओर कुछ लोग इस संस्था के सील होने से आहत हैं, वहीं दूसरी ओर कई संस्थाओं से जुड़े लोग एवं आम जनता में इस बात को लेकर खुशी है और उनका मानना है कि अभी भी कानून जिंदा है और गलत करने वालों के साथ इस प्रकार का बर्ताव होना बहुत जरूरी था। आहत महसूस करने वाले विभिन्न संस्थाओं के पदाधिकारियों से भी बात होने पर उन्होंने भी माना कि संस्था सील होने पर उन्हें चोट पहुंची है लेकिन दूसरी तरफ जिस प्रकार की मनमानी इस संस्था में विगत कुछ वर्षों से चल रही थी उसे देखते हुए उस चोट का एहसास कम भी हुआ है। आम लोगों की यदि मानें तो एक मिली जुली सी प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है। कुछ का कहना है कि जो हुआ वह बहुत पहले हो जाना चाहिए था क्योंकि इस संस्था के लोगों द्वारा फरीदाबाद शहर का माहौल त्योहारों के समय में जिस प्रकार से बिगाड़ा जाता रहा है वह कभी भी मंजूर नहीं था। वहीं दूसरी ओर कुछ लोगों का यह भी कहना है कि यह सब कुछ ही दिनों का खेल है और कि स्थानीय विधायक और प्रशासन फिर से कोई बड़ा खेल खेल सकते हैं। एनआईटी फरीदाबाद की एक बहुत पुरानी संस्था के पदाधिकारी से जब हमारे संवाददाता ने पूछा तो उन्होंने अपना नाम गुप्त रखने की शर्त पर खुलकर कहा कि जिस किसी की शिकायत पर भी प्रशासन नींद से जागा और इस संस्था के विरुद्ध ठोस कदम उठाया है, प्रशासन के इस कदम ने स्थानीय राजनैतिक लोगों को आईना दिखा दिया है। एनआईटी फरीदाबाद के ज्यादातर लोगों का यह मानना है कि स्थानीय विधायक और सांसद को इस सामाजिक मुद्दे से दूर रहना चाहिए और कम से कम गलत का पक्ष तो बिलकुल नहीं लेना चाहिए। यदि भविष्य में उनके द्वारा किसी प्रकार का राजनैतिक खेल फिर से खेला जाता है और उन गलत लोगों का साथ दिया जाता है जिनके कारण टाउन का माहौल बिगड़ा सा रहता है तो यह तय है कि आने वाले चुनावों में एक बहुत बड़े उलटफेर की संभावनाएं बन जाएं। वहीं फरीदाबाद की एक और बहुत पुरानी और सेवा में समर्पित संस्था भाटिया सेवक समाज के प्रधान श्री मोहन सिंह भाटिया जी का एक संदेश भी इन दिनों चर्चा का विषय बना हुआ है जिसके अनुसार उन्होंने पहले भी अथक प्रयास करते हुए इस विषय को सुलझाने की कोशिशें की थीं और स्थानीय विधायक श्रीमती सीमा त्रिखा से भी इस सब में अपनी भूमिका निभाने को कहा था लेकिन किन्ही कारणों से वह बात सिरे नहीं चढ़ी और आने वाली 10 तारीख के बाद उनके द्वारा फरीदाबाद की विभिन्न धार्मिक एवं सामाजिक संस्थाओं के पदाधिकारियों से विचार विमर्श करने उपरांत इस मुद्दे को सुलझाने की कोशिश की जाएगी। गौरतलब है कि भाटिया सेवक समाज के प्रधान श्री मोहन सिंह भाटिया जी कभी स्वयं फरीदाबाद धार्मिक एवं सामाजिक संगठन के कप्तान थे और जिला रजिस्ट्रार कार्यालय के रिकॉर्ड अनुसार आज भी वही कप्तान हैं और कि पूर्व में भी उनके द्वारा फरीदाबाद धार्मिक एवं सामाजिक संगठन के चुनाव करवाने हेतु बार-बार तत्कालीन स्वयंभू कार्यकारिणी के समक्ष लिखित रूप में आवेदन किया जाता रहा है।
जिस प्रकार से फरीदाबाद धार्मिक एवं सामाजिक संगठन के पदाधिकारियों द्वारा भिन्न-भिन्न संस्थाओं से दस्तखत लेकर लिखित रूप में मुख्यमंत्री हरियाणा सरकार से जमीन वापस लेने के लिए मुहीम शुरू की गई है ठीक उसी तरह शहर का एक बहुत बड़ा धड़ा इसके विपरीत अपनी आवाज बुलंद रखने की बात करता दिखाई दे रहा है। एनआईटी फरीदाबाद के लोगों को जल्द ही इस सारे प्रकरण में माननीय न्यायालयों की दखल देखने को मिल सकती है? देखने की बात सिर्फ इतनी रह जाती है कि राजनीति और प्रशासन इस सामाजिक मुद्दे में किस पलड़े में बैठना पसंद करता है क्योंकि जनता का विश्वास और अविश्वास जीतना केवल मात्र इसी मुद्दे पर सिमट कर रह गया दिखाई दे रहा है। जल्द ही इस में विरोधी पक्ष के राजनैतिक लोगों का पदार्पण होना भी दिखाई देने लगा है और तय समझा जा रहा है।

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