खुलना चाहिए श्री राम जी चैरिटेबल हॉस्पिटल : विशाल भाटिया
AMAR TIMES न्यूज़ से
संदीप भाटिया की रिपोर्ट
वहीं फरीदाबाद प्रशासन श्री राम जी चैरिटेबल अस्पताल जैसे संस्थानों को बंद करके बैठा है। इस विषय पर उनके द्वारा कल ही उपायुक्त फरीदाबाद, निगमायुक्त, पुलिस आयुक्त, SDM बड़खल, CMO फरीदाबाद, डिविजनल कमिश्नर फरीदाबाद व अन्य को लिखा गया है और उनके द्वारा इस बारे शपथ पत्र देने के लिए भी तैयार होना बताया गया है।
कोरोना महामारी से उत्पन्न इस विकट स्थिति में श्री राम जी चैरिटेबल अस्पताल जैसे संस्थानों का खुलना अति आवश्यक। उक्त उद्गार व्यक्त करते हुए संस्था के उपप्रधान विशाल भाटिया ने कहा कि जहां एक ओर देश प्रदेश की सरकारें मौजूदा हालातों से निपटने के लिए इस वक्त जगह जगह कोरोना मरीज़ों के लिए छोटे बड़े स्वास्थ्य केंद्र बनाने में लगे हुए हैं
गौरतलब है कि विगत 1 वर्ष से इस संस्था के पदाधिकारियों में आपसी खींचतान के चलते वाद विवाद चल रहा है और जिसके चलते मुख्य रूप से संस्था के सदस्य 'कंवल खत्री गुट' और 'विशाल भाटिया गुट' में बंट कर रह गए हैं। जहां एक ओर कंवल खत्री गुट की शिकायत पर 20/06/2020 को यह अस्पताल पुलिस प्रशासन द्वारा बंद करवा दिया गया था वहीं दूसरी ओर 17/03/2021 को नगर निगम फरीदाबाद के संयुक्त आयुक्त द्वारा इसे सरकारी संपत्ति पर बना होने के कारण सील कर दिया गया था। सबसे ज्यादा हैरान करने की बात तो यह है कि कंवल खत्री गुट द्वारा लगातार यह अफवाह बाजार में फैलाई रखी जाती रही है कि विशाल भाटिया गुट द्वारा सेवार्थ चल रहे अस्पताल को बंद करवाया गया है। नगर निगम फरीदाबाद द्वारा सील करने के उपरांत सामने आए दस्तावेजों से यह स्पष्ट हुआ कि वर्ष 2012 में इसी संस्था के सदस्य और कंवल खत्री के बड़े भाई स्वर्गीय कन्हैया लाल खत्री जी की ही एक शिकायत से यह सिद्ध हुआ था कि उपरोक्त जमीन नगर निगम की मिल्कियत है ना कि अस्पताल की और ना ही कभी भी नगर निगम द्वारा यह जमीन लिखित रूप में अस्पताल को आवंटित ही की गई थी।
आज अचानक शहर भर में दोपहर बाद से यह चर्चा आम हुई कि सांसद श्री कृष्ण पाल गुर्जर और भाजपा नेता धनेश अध्यक्ष के प्रयासों से उक्त अस्पताल को खुलवाने और कोविड सेंटर बनाने की तैयारी कर ली गई है।लेकिन वहीं शहर के बुद्धिजीवी वर्ग का यह मानना है कि जब यह संज्ञान में हो कि जमीन सरकारी है तो उसे संस्था के पदाधिकारियों के हवाले ना करते हुए प्रशासन को महामारी की स्थिति देखते हुए सिविल अस्पताल फरीदाबाद अथवा ईएसआई के अधीन दे देना चाहिए ताकि कुछ बिस्तरों, ऑक्सीजन, इत्यादि का बंदोबस्त कोरोना संक्रमितों के लिए किया जा सके। अब देखना यह होगा कि राजनैतिक, सामाजिक एवं धार्मिक लोगों के साथ साथ शहर का बुद्धिजीवी वर्ग और जनता जनार्दन किस तरह से संस्था के सदस्यों को अस्पताल से अलग रखते हुए और चले आ रहे विवाद को भी एक तरफ करते हुए केवल और केवल कोरोना संक्रमितों के लिए इस अस्पताल में बिस्तर, ऑक्सीजन व दवाइयों की व्यवस्था करवाने में कामयाब होते हैं।
वहीं प्रशासन को अस्पताल खोलने से पहले यह सुनिश्चित करना होगा कि किसी प्रकार की कानूनी चूक ना हो जाए क्योंकि संस्था का विवाद अभी भी न्यायिक प्रक्रिया के तहत बाकी है और ज़मीन सरकारी। यदि ऐसे में संस्था सदस्यों के किसी एक पक्ष को अस्पताल चलाने के लिए दे दिया जाता है तो दूसरा पक्ष माननीय अदालत का दरवाजा खटखटा सकता है, जो आने वाले समय में प्रशासन के लिए बड़ी दिक्कतें खड़ी कर सकता है।