निरंकारी भवन के ईयाज मुखी श्री जसपाल सिंह की 3 मई को निधन हुआ।
AMAR TIMES से
आशा की रिपोर्ट
निरंकारी मिशन के सेक्टर 16 निरंकारी भवन के ईयाज मुखी श्री जसपाल सिंह की 3 मई को मृत्यु होने से उनके परिजन और अनुयायी गहरे सदमे है। उनके बीच शोक की लहर फैल गई है। उनकी मौत की खबर मिलने के बाद से ही उनके अनुयायी रोते बिलखते हुए सेक्टर 16 निरंकारी भवन पहुंचे। निरंकारी भवन के अंदर और बाहर सभी लोगों की आंखों से आंसू थम नहीं रहे है एक-दूसरे के गले लगकर वे दुख बांटने की कोशिश कर रहे हैं। खबर मिलने के बाद से ही भवन पर रिश्तेदारों के साथ-साथ अनुयायियों के आने का सिलसिला शुरू हो गया।
श्री जसपाल सिंह जी का जन्म 12 अप्रैल 1954 को हुआ था। शिक्षा ग्रहण करने के दौरान ही वह वर्ष 1959 में शहंशाह बाबा अवतार सिंह के समय से ही निरंकारी सेवादल से जुड़ गए थे।
वर्ष 1974 मे निरंकारी मिशन के प्रथम सहायक शिक्षक बने।
अब वह फरीदाबाद के सेक्टर 16 निरंकारी भवन के ईयाज मुखी के रुप मे सेवा निभाई।
सभी महान संतों ने मन से इश्वर भक्ति की बात बताई है, जिसे ध्यान, सुमिरन, स्मरण या मेडिटेशन आदि नामों से बताया गया है. पहली बार श्री जसपाल सिंह जी ने इस ध्यान को ‘रूप ध्यान’ नाम देकर स्पष्ट किया कि ध्यान की सार्थकता तभी है जब हम भगवान के किसी मनोवांछित रूप का चयन करके उस रूप पर ही मन को टिकाए रहे।
उन्होंने शुरू से ही समाज सेवा का भी बड़ा बीड़ा उठाया हुआ था। इसलिए उन्होने अपने साथ-साथ अपने परिवार के हर सदस्य को मिशन के साथ जोड़ा।