जांच से क्यों भाग रहे हैं फरीदाबाद धार्मिक एवम सामाजिक संगठन के पदाधिकारी।
AMAR TIMES न्यूज़ से
संदीप भाटिया की रिपोर्ट
निगमायुक्त का फरीदाबाद धार्मिक एवं सामाजिक संगठन द्वारा सरकारी जमीन कब्जाने के मामले में रुख पूरी तरह से सख्त प्रतीत होता है। जल्द ही इस मामले में बहुत बड़ी उथल-पुथल फरीदाबाद के सामाजिक स्तर पर देखने को मिल सकती है।
गौरतलब है कि दशहरा पर्व से कुछ दिन पूर्व ही फरीदाबाद के एक समाजसेवी एवं राष्ट्रीय भ्रष्टाचार निर्मूलन परिषद के प्रदेश अध्यक्ष आनंद कांत भाटिया ने फरीदाबाद धार्मिक एवं सामाजिक संगठन नामक संस्था के पदाधिकारियों पर सरकारी जमीन पर कब्जा किए जाने के आरोप लगाते हुए शहर भर में एक सनसनी फैला दी थी। जिसके फलस्वरूप विगत 70 वर्षों में पहली बार ऐसा हुआ कि फरीदाबाद में किसी भी संस्था को दशहरा पर्व मनाने की प्रशासनिक इजाजत प्राप्त नहीं हुई। प्रशासन भले ही इसके पीछे कोरोना महामारी को कारण बताता रहा हो लेकिन आम आदमी का यह मानना है कि हो ना हो फरीदाबाद धार्मिक एवं सामाजिक संगठन को दशहरा केवल आनंद कांत भाटिया के खुलासे के बाद ही नहीं मनाने दिया गया। जिस तरह संस्था के पदाधिकारी अंतिम समय तक प्रशासन द्वारा उन्हें दी गई उत्सव मनाने की इजाजत का हवाला देते रहे परन्तु दिखा नहीं सके, इससे यह भी स्पष्ट हो जाता है कि कही ना कही फरीदाबाद धार्मिक एवं सामाजिक संगठन को किसी प्रकार का राजनीतिक संरक्षण तो प्राप्त था, लेकिन सरकारी भूमि पर कब्जे के आरोपों के चलते प्रशासनिक अधिकारी बखूबी अपना बचाव करने में कामयाब रहे। जहां एक और उन्होंने अपने राजनीतिक आकाओं को उत्सव मनाने की इजाजत देकर खुश रखने का प्रयास किया वहीं दूसरी ओर जिला उपायुक्त द्वारा दशहरा पर्व को मनाने के लिए किसी प्रकार की कोई इजाजत ना देने का ऐलान भी कर दिया। जबकि हरियाणा के ही साथ लगते जिलों में दशहरा पर्व मनाने की इजाजत वहां के जिला उपायुक्तों द्वारा दी गई थी।
पूर्व के लगाए गए आरोप अभी चल ही रहे थे कि इसी दौरान लगाई गई एक अन्य आरटीआई के जवाब में दिनांक 09/11/2020 को नगर निगम के प्लानिंग विभाग ने एक बार फिर यह कबूल लिया कि उनके द्वारा कभी भी मालवीय वाटिका दशहरा ग्राउंड की यह भूमि किसी को भी इस्तेमाल के लिए नहीं दी गई है। प्राप्त हुई शिकायत का संज्ञान लेते हुए निगमायुक्त ने तुरंत प्रभाव से दिनांक 20/10/2020 को ही एक 2 सदस्यों की कमेटी का गठन कर इस मामले की पारदर्शिता से जांच करने के आदेश जारी किए। गठित कमेटी में जांच का जिम्मा अतिरिक्त निगमायुक्त और STP को दिया गया है और इन अधिकारियों को 15 दिन के भीतर जांच उपरांत जांच रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए कहा गया है। निगम सूत्रों के अनुसार दिनांक 23/11/2020 को दोनों ही पक्षों को गठित कमेटी द्वारा अपनी बात रखने के लिए दस्तावेजों के साथ बुलवाया गया था
जिस पर शिकायतकर्ता पक्ष की तरफ से आनंद कांत भाटिया द्वारा अपने पक्ष में सभी उपलब्ध दस्तावेज प्रस्तुत करते हुए अपनी बात रख दी गई है लेकिन वहीं आरोपित पक्ष के दोनों पदाधिकारी कोरोना महामारी के चलते और अपनी बड़ी उम्र का हवाला देते हुए घर से ना निकलने के कारण उपस्थिति दर्ज ना करवाने की दलील लिखित में देकर बाद में किसी अन्य तिथि पर जांच को करने की दुहाई देते दिखाई दिए। सूत्रों की माने तो दिनांक 26/11/2020 को आरोपित पक्ष को सुनवाई का एक और मौका दिया गया है। जबकि सच्चाई यह है कि इन दोनों पदाधिकारियों को फरीदाबाद के विभिन्न स्थानों पर दिन में अनेकों बार विभिन्न कार्यक्रमों में हिस्सा लेते लोगों द्वारा देखा जाता रहा है। फरीदाबाद के लोगों में यह सुगबुगाहट शुरू हो चुकी है कि यदि इस संस्था के पास कानूनी रूप से इस जगह को इस्तेमाल करने के अधिकार हैं तो उन्हें अविलंब दस्तावेज प्रस्तुत कर देने चाहिए थे ना कि सुनवाई से भागना चाहिए था। संस्था के पदाधिकारियों का बर्ताव कहीं ना कहीं आरोप सत्य प्रतीत करवाने के लिए काफी है।
जिस पर शिकायतकर्ता पक्ष की तरफ से आनंद कांत भाटिया द्वारा अपने पक्ष में सभी उपलब्ध दस्तावेज प्रस्तुत करते हुए अपनी बात रख दी गई है लेकिन वहीं आरोपित पक्ष के दोनों पदाधिकारी कोरोना महामारी के चलते और अपनी बड़ी उम्र का हवाला देते हुए घर से ना निकलने के कारण उपस्थिति दर्ज ना करवाने की दलील लिखित में देकर बाद में किसी अन्य तिथि पर जांच को करने की दुहाई देते दिखाई दिए। सूत्रों की माने तो दिनांक 26/11/2020 को आरोपित पक्ष को सुनवाई का एक और मौका दिया गया है। जबकि सच्चाई यह है कि इन दोनों पदाधिकारियों को फरीदाबाद के विभिन्न स्थानों पर दिन में अनेकों बार विभिन्न कार्यक्रमों में हिस्सा लेते लोगों द्वारा देखा जाता रहा है। फरीदाबाद के लोगों में यह सुगबुगाहट शुरू हो चुकी है कि यदि इस संस्था के पास कानूनी रूप से इस जगह को इस्तेमाल करने के अधिकार हैं तो उन्हें अविलंब दस्तावेज प्रस्तुत कर देने चाहिए थे ना कि सुनवाई से भागना चाहिए था। संस्था के पदाधिकारियों का बर्ताव कहीं ना कहीं आरोप सत्य प्रतीत करवाने के लिए काफी है।
खैर जांच का निष्कर्ष चाहे कुछ भी निकले लेकिन फरीदाबाद शहर के राजनीतिक, सामाजिक और धार्मिक गलियारों में इस मुद्दे को लेकर कई प्रकार की बातों को लेकर सर्दी के इस मौसम में भी वातावरण पूरी तरह से गर्म है। बुद्धिजीवियों का तो यहां तक मानना है कि इस मुद्दे का आने वाले समय में बड़खल विधानसभा के राजनीतिक भविष्य पर भी बहुत बड़ा असर होने वाला है। ध्यान रहे कि इसी संस्था के मंच पर पूर्व में केंद्र सरकार में राज्य मंत्री और फरीदाबाद से सांसद श्री कृष्ण पाल गुर्जर और हरियाणा के निर्वर्तमान उद्योग मंत्री श्री विपुल गोयल के बीच दशहरा पर्व के दौरान ही इसी संस्था के मंच पर कहा सुनी हुई थी और ताजा हालात में भी सत्तारूढ़ दल के नेता भी स्पष्ट रूप से दो धड़ों में बंटे दिखाई दे रहे हैं।