नगर निगम और उप निबंधक कार्यालय के अधिकारियों पर लटकी विजिलेंस जांच की तलवार : सूत्र
AMAR TIMES न्यूज़ से
संदीप भाटिया की रिपोर्ट
फरीदाबाद धार्मिक एवं सामाजिक संगठन के खिलाफ की गई शिकायत पर राज्य चौकसी ब्यूरो हरियाणा ने अपना शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार राष्ट्रीय भ्रष्टाचार निर्मूलन परिषद के प्रदेश अध्यक्ष आनन्द कान्त भाटिया द्वारा दशहरा पर्व से ठीक पहले स्थानीय फरीदाबाद धार्मिक एवं सामाजिक संगठन के पदाधिकारियों के खिलाफ सरकारी जमीन पर प्रशासनिक अधिकारियों के साथ सांठगांठ बैठाते हुए काबिज होकर, सरकारी राजस्व को नुकसान पहुंचाने की शिकायत प्रदेश सरकार के विभिन्न संबंधित विभागों में की गई थी। इसी शिकायत पर संज्ञान लेते हुए महानिदेशक राज्य चौकसी ब्यूरो हरियाणा द्वारा मुख्य सचिव हरियाणा सरकार (चौकसी विभाग) को एक पत्र के माध्यम से आनन्द कान्त भाटिया की शिकायत आवश्यक कार्यवाही हेतु भिजवा दी गई है।
गौरतलब है कि पहले से ही निगमायुक्त फरीदाबाद द्वारा एक कमेटी गठित करते हुए इस शिकायत पर जांच बैठाई हुई है वहीं दूसरी ओर उप निबंधक कार्यालय की तरफ से भी संस्था के पदाधिकारियों को अपना पक्ष रखने के लिए 14 दिनों का समय दिया गया है। इन दोनों प्रकार की जांचों के लिए निर्धारित समय निकल चुका है लेकिन परिणाम आने अभी बाकी हैं। सूत्रों की माने तो स्थानीय अधिकारी किसी प्रकार के राजनीतिक दबाव में जांच को टालने के प्रयासरत हो सकते हैं लेकिन जिस प्रकार से राज्य चौकसी ब्यूरो हरियाणा द्वारा कार्यवाही अमल में लाई जा रही है उससे बहुत जल्द ही संस्था के पदाधिकारियों के अलावा कई अधिकरियों के नपने के आसार बनते दिखाई दे रहे हैं। भाटिया द्वारा की गई शिकायत में न केवल अधिकारियों की सांठगांठ से बेशकीमती सरकारी जमीन पर काबिज होने, सरकारी अनुदान प्राप्त कर अवैध निर्माण करने, सरकार/प्रशासन और जनता को गुमराह करते हुए अवैध वसूली करने जैसे कई आरोप संस्था के पदाधिकारियों के साथ-साथ प्रशासनिक अधिकारियों पर भी लगाए गए हैं। अब यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा कि ऊंट किस करवट बैठता है क्योंकि स्थानीय निवासियों में दो प्रकार की धारणाएं व्याप्त हैं पहली कि राजनीतिक दखल के चलते कार्यवाही होगी ही नहीं और दूसरी अबकी बार कार्यवाही होकर ही रहेगी। इन दोनों प्रकार की व्याप्त धारणाओं के पीछे का कारण शिकायतकर्ता और जिनके खिलाफ शिकायत की गई है दोनों पक्षों का वर्तमान सरकार में पूरा पूरा दखल होना बताया जाता है। स्थानीय निवासियों के एक बहुत बड़े धड़े का तो यहां तक मानना है कि यह मुद्दा स्थानीय नेताओं के गले की फांस बनकर रह गया है और उन्हें यह तक समझ नहीं आ रहा कि किस पक्ष के साथ उन्हें खड़े रहना चाहिए और यदि समय रहते स्थानीय नेताओं ने सही का साथ नहीं दिया तो यकीनन आने वाले समय में भाजपा के वोट बैंक पर भारी कुठाराघात करने के लिए यह मुद्दा काफी रह सकता है।